Tuesday, September 17, 2019

मुज़फ़्फ़रपुर शेल्टर होम में सात दिन बिता चुकी लड़की से गैंगरेप का आरोप

बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर बालिकागृह की एक लड़की ने चार युवकों पर गैंगरेप का मुक़दमा दर्ज कराया है. मुक़दमा दर्ज कराने वाली लड़की शेल्टर होम से अपने घर आ चुकी थीं.
बिहार के एक शहर बेतिया के नगर थाने में दर्ज शिकायत के अनुसार लड़की ने आरोप लगाया है कि 13 सितंबर की शाम जब वह अपनी एक सहेली के घर जा रही थीं, तब चार युवकों ने जबरन एसयूवी कार में बिठाकर चलती कार में कथित तौर पर उनके साथ गैंगरेप किया. और फिर वापस उनके घर की तरफ़ उतारकर चारों युवक भाग गए.
लड़की को गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है. रविवार को मेडिकल जाँच हुई. लेकिन अभी तक रेप की पुष्टि नहीं हो पायी है.
बेतिया (पश्चिम चंपारण) के एसपी जयंतकांत ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद ही हम कह पाएंगे कि रेप हुआ है या नहीं. मेडिकल बोर्ड की जाँच में इस बात की पुष्टि ज़रूर हुई है कि लड़की को किसी भी तरह की बाहरी चोट नहीं है."
जयंतकांत आगे कहते हैं, "चूंकि नामज़द अभियुक्त हैं. इसलिए पुलिस ने दर्ज शिकायत के आधार पर सबूत जुटाने शुरू कर दिए हैं. आरोपियों में सगे भाई समेत सभी चार लोग लड़की के घर से 400-500 मीटर की दूरी पर ही रहने वाले हैं. हमनें सीसीटीवी फुटेज भी निकाले हैं. उस आधार पर भी जाँच की जा रही है. एफएसएल की जाँच भी हो रही है. मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद अथवा सबूत मिलने के बाद आरोपियों को गिरफ़्तार कर लिया जाएगा."
जिस लड़की ने गैंगरेप का आरोप लगाया है उनको लेकर मीडिया में बहुत तरह की बातें चल रही हैं. मसलन क्या शिकायत करने वाली लड़की मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह की हैं या नहीं! आठ लड़कियों को तो अभी हाल में घर भेजने की अनुमति कोर्ट ने दी है, फिर ये लड़की कब घर चली गईं? यदि वह लड़की मुज़फ़्फ़रपुर बालिकागृह में रहने वाली लड़की थी तो उन्हें विशेष संरक्षण क्यों नहीं दिया गया?
इन सब सवालों को लेकर हमनें बात की बेतिया के डीएम डॉ निलेश रामचंद्र देबरे से.
वे कहते हैं, "हां, वो लड़की मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह में रही थी. जाँच में पता चला है कि 23 मई 2018 को उसे बालिकागृह मुज़फ़्फ़रपुर में ले जाया गया था. वो मामला उजागर होने के बाद 29-30 मई को सभी लड़कियों को अलग-अलग शेल्टर होमों में शिफ्ट कर दिया गया था. जोड़ लीजिए वह कितने दिन रही वहां. इस लड़की को मोकामा के शेल्टर होम में भेजा गया था. वहां से पिछले साल अगस्त के महीने में इसके घरवाले बड़ी बहन की शादी की बात कहकर बालिकागृह से मुक्त करा लिए थे. तब से लड़की अपने घर ही रह रही थी.''
एसपी जयंतकांत लड़की के बारे में कहते हैं, "पुलिस की जाँच में पता चला है कि लड़की शुरू में अपने घरवालों से झगड़कर घर से भागी थी. मुज़फ़्फ़रपुर जीआरपी ने इसे 23 मई को रेलवे-स्टेशन से बरामद किया था. वहीं से शेल्टर होम भेजा गया था. अब इसकी शादी भी हो चुकी है. लेकिन पति के साथ नहीं रहती. किसी बात को लेकर विवाद है. हमलोग पता कर रहे हैं. पति दिल्ली में रहता है."
लड़की के संरक्षण को लेकर ज़िला के डीएम कहते हैं, "मुज़फ़्फ़रपुर बालिकागृह की एक पीड़िता होने के कारण लड़की को सरकारी योजनाओं के तहत मुआवज़ा भी दिया जा चुका है. इसके पहले शेल्टर होम में मेडिकल काउंसिलिंग भी हुई थी. अब वो मुक्त होकर अपने घर आ चुकी है. ऐसे में ये घटना घटी. ताज्जुब की बात है."
मुज़फ़्फ़रपुर बालिकागृह मामले को लेकर ताज़ा अपडेट यह है कि मामले की जाँच कर रही सीबीआई ने मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर समेत 21 लोगों के ख़िलाफ़ आरोप पत्र दायर किया है. दिल्ली के साकेत कोर्ट में पेश की जा चुकी सीबीआई की चार्जशीट पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सवाल उठाए गए हैं.
सवाल इस बात को लेकर उठे हैं कि सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में हत्या के आरोप के तहत धाराएं क्यों नहीं लगायी है. जबकि पीड़ित लड़कियों के बयानों और जाँच में मिले सबूतों के आधार पर कथित रूप से 11 लड़कियों की हत्या करने की बात सामने आयी थी.
सीबीआई की चार्जशीट पर सवाल इस बात को लेकर भी उठाए गए हैं कि मामले के तह तक जाँच नहीं हुई है, अगर हुई भी है तो सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में उनलोगों को कथित तौर पर बचा लिया है जो इस कांड के बड़े खिलाड़ी थे और सिस्टम से जुड़े लोग थे.
जून में आख़िरी बार इस याचिका पर सुनवाई की गई थी. तब सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस ने सीबीआई को फटकार लगाई थी. फिर से जाँच करने के आदेश दिए. सीबीआई ने जब छह महीने का समय मांगा तो मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने केवल तीन महीने का समय दिया. उसके बाद अब सुनवाई होनी बाक़ी है.
हाल ही में लड़कियों के पुनर्वास पर सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई TISS के कोशिश संगठन की एक स्टेटस रिपोर्ट के आधार पर बिहार समाज कल्याण विभाग ने बालिका गृह में रहीं आठ लड़कियों को घर भेजने की अनुमति मांगी थी. जिसपर कोर्ट ने सहमति दे दी है.
मुज़फ़्फ़रपुर बालिकागृह के लड़की के बारे में ऐसी ख़बर आने के बाद विपक्ष सरकार पर हमलावर है. प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने इसपर ट्वीट करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जवाब मांगा है.
अगर मेडिकल जाँच में गैंगरेप के आरोप की पुष्टि हो जाती है तो सरकार के लिए इसका जवाब देना मुश्किल होगा. क्योंकि मुज़फ़्फ़रपुर बालिकागृह मामला बहुत चर्चित मामला है और देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट की नज़र इसपर है.
सरकार पहले भी एक बार इसमें फंस चुकी है. जब अपने ख़िलाफ़ लग रहे आरोपों के कारण बिहार सरकार की तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को इस्तीफ़ा देना पड़ा था. बालिकागृह मामले की जाँच के दौरान ही मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर वर्मा के घर से एके सैंत्तालिस रायफ़ल की गोलियां भी बरामद हुई थी. मंत्री के पति को जेल भी जाना पड़ा था.