वहीं, समाजशास्त्र विभाग की एक रिसर्च स्कॉलर के केस में सिंडिकेट ने अपना ही पहले का फैसला वापस ले लिया और छात्रा का पीएचडी का रजिस्ट्रेशन बहाल कर दिया और पूर्व कुलपति के खिलाफ रिसर्च स्कॉलर द्वरा दी गयी शिकायत को चांसलर को भेजने का फैसला लिया गया ताकि वे इस पर कोई समुचित फैसला ले सकें। इस रिसर्च स्कॉलर ने पीयू की एक महिला अधिकारी व प्रोफेसर के वकील बेटे पर आरोप लगाया था कि उसने उसका पीछा कर उससे अश्लील हरकत की और उसकी स्कूटी को टक्कर मार कर गिरा दिया जिससे उसे गंभीर चोटें आयी थी। मगर बाद में पीयू की जांच में उलटा रिसर्च स्कॉलर को ही दोषी ठहरा कर उसका पीएचडी का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया था। इसी तरह समाजशास्त्र की ही एक अन्य रिसर्च स्कॉलर के 24 जुलाई को कराये गये वाइवा को भी सिंडिकेट ने अप्रूव कर दिया। इस छात्रा का भी उपरोक्त मामालों की तरह का ही कोई केस था।
इसी तरह बैठक में हॉस्टल मैस व कैंटीनों में ठेकेदारी सिस्टम जारी रखने पर फैसला हुआ। सिंडिकेट ने अपने सभी दफ्तरों और सोसायटी के बीच हिंदी के प्रयोग को भी हरी झंडी दे दी। सिंडिकेट ने अंडरग्रेजुएट लेवल पर सेमेस्टर सिस्टम को समाप्त करने संबंधी मसले पर सिंडिकेट ने स्टैंडिंग कमेटी को भंग कर कुलपति को नई कमेटी बनाने के लिये अधिकृत कर दिया। कमेटी जो सिफिरिश करेगी उसे फिर सिंडिकेट में लाया जायेगा।
पुरुषों को भी चाइल्ड केयर लीव
महिला कर्मचारियों की तर्ज पर पुरुषों को भी चाइल्ड केयर लीव (सीसीएल) देने के मामले पर भी सिंडिकेट ने विचार किया और पंजाब सरकार के रूल फालो करने की बात कहते हुए इसे एडाप्ट कर लिया। मजे की बात यह है कि पंजाब में पुरुषों के लिये कोई सीसीएल नहीं है। यहां तक कि देश के किसी भी संस्थान में फिलहाल पुरुषों के लिये सीसीएल का कोई प्रावधान नहीं है।
महिला कर्मचारियों की तर्ज पर पुरुषों को भी चाइल्ड केयर लीव (सीसीएल) देने के मामले पर भी सिंडिकेट ने विचार किया और पंजाब सरकार के रूल फालो करने की बात कहते हुए इसे एडाप्ट कर लिया। मजे की बात यह है कि पंजाब में पुरुषों के लिये कोई सीसीएल नहीं है। यहां तक कि देश के किसी भी संस्थान में फिलहाल पुरुषों के लिये सीसीएल का कोई प्रावधान नहीं है।
उठाया अरविंदो कालेज का मसला भी
इंदरपाल सिंह सिद्धू शून्यकाल में अरविंदो कालेज लुधियाना के दो टीचर्स को सस्पेंड करने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि तीन-चार दिन पहले ही दोनों को कालेज ने डिसमिस कर दिया जिस पर पीयू को भी लीगल राय लेकर उसे डिस-एफिलिएशन का नोटिस भेजना चाहिए। इसी तरह सीवीओ प्रो. सुवीरा गिल को कंस्ट्रक्शन परचेज के विषय में दी गयी रिपोर्ट को फिर से तैयार करने को कहा गया क्योंकि टेक्नीकल काम करने और फिजिकल वेरीफिकेशन करना सिंडिकेट के लिये संभव नहीं है। प्रो. प्रवीण गोयल के प्रस्ताव पर सिंडिकेट ने कहा कि बैठक के बाद मिनट्स की साफ्ट क़ॉपी हर सीनेटर को भेज दी जायेगी।प्राचीन समय में कालका रेलवे स्टेशन के प्लेट फार्म नं. 1 और 2 में लगे ब्रिटिश काल के हाइड्रोलिक वाटर बफर दोबारा उसी जगह स्थापित किए जाएंगे। रेलवे विभाग कबाड़ में पड़े बफर निकाल कर रिपेयर कर रहा है। गत 3 वर्ष पूर्व लगाये गए नये बम्पर बफर निकालने का काम रविवार को आरंभ हुआ। गत माह रेलवे बोर्ड चेयरमैन अश्वनी लोहानी ने कालका दौरे के दौरान पुराने बफर निकालने और प्राचीन विरासत को संरक्षित करने के लिए कालका स्टेशन को पुराने स्वरूप में में सुंदर बनाने के निर्देश दिये थे। इससे कालका रेलवे स्टेशन की वही पुरानी रौनक लौटने की उम्मीद है।
सन 1927 में इंगलैंड में निर्मित बफर कालका के अलावा देश में केवल कानपुर, कोलकाता रेलवे स्टेशनों पर ही लगे थे। शाम को ट्रेन आने के समय लोग इसे देखने के लिए इकट्ठा होते थे। क्योंकि रुकने के लिए जैसे ही ट्रेन इससे टकराती थी तो इसमें से पानी के ऊंचे-ऊंचे फव्वारे छूटते थे। चंडीगढ़-शिमला एनएच पर स्थित अमरावती कॉलोनी के सामने 2 वर्ष पूर्व मंजूर फ्लाई ओवर ब्रिज निर्माण का रास्ता खुल गया है। केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने एनएचएआई प्रोजेक्ट डायरेक्टर को फ्लाई ओवर ब्रिज निर्माण के लिए शीघ्र ही नये टेंडर लगा नयी कंपनी को काम सौंपने के आदेश दिए हैं। रविवार को अमरावती रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन प्रधान शमशेर शर्मा ने बताया कि लगभग 24 करोड़ रुपये की लागत के ब्रिज निर्माण का टेंडर पहले जीरकपुर-परवाणू हिमालयन एक्सप्रेस निर्माण कंपनी जेपी को दिया गया था कंपनी ने गत मार्च माह में निर्माण कार्य भी आरंभ कर दिया था लेकिन एनएचएआई द्वारा जेपी कंपनी पर काम में देरी के कारण 12 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था। कंपनी ने ब्रिज निर्माण की रकम से जुर्माने की रकम न काटने का आग्रह किया था लेकिन एनएचएआई ने कंपनी का प्रस्ताव ठुकरा दिया था तभी कंपनी ने फ्लाई ओवर ब्रिज का काम रोक दिया था।मरावती कॉलोनी में बारिश के पानी की वजह से हुए नुकसान की वजह से अमरावती रेजिडेंट्स वलफेयर एसोसिएशन के सदस्यों ने रोष जताया। उन्होंने सरकार और डीएलएफ कंपनी से पानी निकासी का प्रबंध करने की मांग की। 2 दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश के कारण स्थानीय डीएलएफ कॉलोनी की सड़कों से बहता हुआ अमरावती कॉलोनी में प्रवेश कर गया। एसोसिएशन प्रधान शमशेर शर्मा, महासचिव कर्नल अवकाश राय ने बताया कि नदी की तरह अमराती में घुसे पानी के कारण कॉलोनी तालाब बन गई है। यही नहीं मंदिर के समीप कई घरों में पानी घुस गया है। डीएलएफ कॉलोनी से आए पानी और पत्थरों ने हाल ही में बनी अमरावती-भगवानपुर रोड भी तोड़ दिया है।
इंदरपाल सिंह सिद्धू शून्यकाल में अरविंदो कालेज लुधियाना के दो टीचर्स को सस्पेंड करने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि तीन-चार दिन पहले ही दोनों को कालेज ने डिसमिस कर दिया जिस पर पीयू को भी लीगल राय लेकर उसे डिस-एफिलिएशन का नोटिस भेजना चाहिए। इसी तरह सीवीओ प्रो. सुवीरा गिल को कंस्ट्रक्शन परचेज के विषय में दी गयी रिपोर्ट को फिर से तैयार करने को कहा गया क्योंकि टेक्नीकल काम करने और फिजिकल वेरीफिकेशन करना सिंडिकेट के लिये संभव नहीं है। प्रो. प्रवीण गोयल के प्रस्ताव पर सिंडिकेट ने कहा कि बैठक के बाद मिनट्स की साफ्ट क़ॉपी हर सीनेटर को भेज दी जायेगी।प्राचीन समय में कालका रेलवे स्टेशन के प्लेट फार्म नं. 1 और 2 में लगे ब्रिटिश काल के हाइड्रोलिक वाटर बफर दोबारा उसी जगह स्थापित किए जाएंगे। रेलवे विभाग कबाड़ में पड़े बफर निकाल कर रिपेयर कर रहा है। गत 3 वर्ष पूर्व लगाये गए नये बम्पर बफर निकालने का काम रविवार को आरंभ हुआ। गत माह रेलवे बोर्ड चेयरमैन अश्वनी लोहानी ने कालका दौरे के दौरान पुराने बफर निकालने और प्राचीन विरासत को संरक्षित करने के लिए कालका स्टेशन को पुराने स्वरूप में में सुंदर बनाने के निर्देश दिये थे। इससे कालका रेलवे स्टेशन की वही पुरानी रौनक लौटने की उम्मीद है।
सन 1927 में इंगलैंड में निर्मित बफर कालका के अलावा देश में केवल कानपुर, कोलकाता रेलवे स्टेशनों पर ही लगे थे। शाम को ट्रेन आने के समय लोग इसे देखने के लिए इकट्ठा होते थे। क्योंकि रुकने के लिए जैसे ही ट्रेन इससे टकराती थी तो इसमें से पानी के ऊंचे-ऊंचे फव्वारे छूटते थे। चंडीगढ़-शिमला एनएच पर स्थित अमरावती कॉलोनी के सामने 2 वर्ष पूर्व मंजूर फ्लाई ओवर ब्रिज निर्माण का रास्ता खुल गया है। केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने एनएचएआई प्रोजेक्ट डायरेक्टर को फ्लाई ओवर ब्रिज निर्माण के लिए शीघ्र ही नये टेंडर लगा नयी कंपनी को काम सौंपने के आदेश दिए हैं। रविवार को अमरावती रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन प्रधान शमशेर शर्मा ने बताया कि लगभग 24 करोड़ रुपये की लागत के ब्रिज निर्माण का टेंडर पहले जीरकपुर-परवाणू हिमालयन एक्सप्रेस निर्माण कंपनी जेपी को दिया गया था कंपनी ने गत मार्च माह में निर्माण कार्य भी आरंभ कर दिया था लेकिन एनएचएआई द्वारा जेपी कंपनी पर काम में देरी के कारण 12 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था। कंपनी ने ब्रिज निर्माण की रकम से जुर्माने की रकम न काटने का आग्रह किया था लेकिन एनएचएआई ने कंपनी का प्रस्ताव ठुकरा दिया था तभी कंपनी ने फ्लाई ओवर ब्रिज का काम रोक दिया था।मरावती कॉलोनी में बारिश के पानी की वजह से हुए नुकसान की वजह से अमरावती रेजिडेंट्स वलफेयर एसोसिएशन के सदस्यों ने रोष जताया। उन्होंने सरकार और डीएलएफ कंपनी से पानी निकासी का प्रबंध करने की मांग की। 2 दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश के कारण स्थानीय डीएलएफ कॉलोनी की सड़कों से बहता हुआ अमरावती कॉलोनी में प्रवेश कर गया। एसोसिएशन प्रधान शमशेर शर्मा, महासचिव कर्नल अवकाश राय ने बताया कि नदी की तरह अमराती में घुसे पानी के कारण कॉलोनी तालाब बन गई है। यही नहीं मंदिर के समीप कई घरों में पानी घुस गया है। डीएलएफ कॉलोनी से आए पानी और पत्थरों ने हाल ही में बनी अमरावती-भगवानपुर रोड भी तोड़ दिया है।
मकानों पर गिरा पेड़, दीवारें टूटीं
रायपुररानी (निस) : खटौली गांव में भारी बरसात के चलते बड़ा हादसा टल गया। रात को बरसात के बाद चली तेज हवा के बाद घरों के बीच में खड़ा पीपल का पेड़ जड़ समेत उखड़ कर गिर गया। जिसके चलते आसपास के मकानों की दीवारें टूट गई और शैड भी टूट गया। लेकिन किसी को चोट नहीं आई। उधर गांव ककराली-खानपुर रोड़ पर लगे पुल के नीचे से पानी की निकासी न होने के कारण नदी में आये पानी ने चलते रूख मोड़ लिया और करीब 200 एकड़ धान की फसल डूब गई।
रायपुररानी (निस) : खटौली गांव में भारी बरसात के चलते बड़ा हादसा टल गया। रात को बरसात के बाद चली तेज हवा के बाद घरों के बीच में खड़ा पीपल का पेड़ जड़ समेत उखड़ कर गिर गया। जिसके चलते आसपास के मकानों की दीवारें टूट गई और शैड भी टूट गया। लेकिन किसी को चोट नहीं आई। उधर गांव ककराली-खानपुर रोड़ पर लगे पुल के नीचे से पानी की निकासी न होने के कारण नदी में आये पानी ने चलते रूख मोड़ लिया और करीब 200 एकड़ धान की फसल डूब गई।