Friday, July 5, 2019

अमित शाह कश्मीर पर राजनाथ से कितने अलग

गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा और राज्यसभा में भाषण देते हुए कश्मीर का उल्लेख किया है जो कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की कश्मीर नीति को स्पष्ट करता है.
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में कश्मीर नीति में कई तरह के ऊहापोह दिखे थे.
हालांकि, इस भाषण के बाद लगता है कि नई सरकार एक नई नीति के साथ कश्मीर मुद्दे पर ध्यान देगी.
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में कश्मीर को लेकर एक उचित और ठोस नीति सामने नहीं आई. इसकी एक वजह ये भी थी कि पीडीपी और बीजेपी के राजनीतिक हित अलग-अलग रहे.
बीजेपी-पीडीपी गठबंधन में एक पार्टी कश्मीर नीति को नरम अलगाववाद की ओर खींच रही थी.
वहीं, दूसरी पार्टी किसी भी तरह के समझौते के लिए तैयार नहीं थी और चरमपंथ, अलगाववाद के प्रति कठोर रुख़ को ही एकमात्र विकल्प माना.
इसका नतीजा ये हुआ कि दोनों में से एक भी नीति ठीक ढंग से लागू नहीं की गई. दोनों पार्टियों के रुख़ में जारी विरोधाभास ने कश्मीर को अंधकार की ओर धकेल दिया.
लेकिन अमित शाह का भाषण कश्मीर पर बीजेपी की नई नीति के बारे में बताता है.
इस नीति के दो तीन पहलू साफ़ हैं. पहला पहलू ये है कि कश्मीर में चरमपंथ के ख़िलाफ़ ऑपरेशन ऑल आउट जारी रहेगा.
दूसरा पहलू ये है कि चरमपंथियों के ख़िलाफ़ सशस्त्र बलों का काइनेटिक ऑपरेशन जारी रहेगा.
इसके साथ ही एनआइए हुर्रियत समेत दूसरे अलगाववादी संगठनों के ख़िलाफ़ अपनी जांच जारी रखेगी ताकि चरमपंथियों को मिलने वाला आर्थिक, लॉजिस्टिकल और वैचारिक समर्थन कम हो सके.
लेकिन अमित शाह के भाषण में अटल बिहारी वाजपेयी के नारे कश्मीरियत, जम्हूरियत और इंसानियत का प्रयोग करना सबसे चौंकाने वाली बात थी.
राजनीतिक दलों और तमाम दूसरे पक्षों ने समय-समय पर कश्मीर को लेकर वाजपेयी की नीति को सराहा है.
हालांकि, अब ऐसा लगता है कि वाजपेयी का तरीक़ा वर्तमान सरकार की कश्मीर नीति के लिए एक जुमले की तरह हो गया है.
गृह मंत्री की कश्मीरियत, जम्हूरियत और इंसानियत की परिभाषा अटल बिहारी वाजपेयी की कड़ी मेहनत से बातचीत के रास्ते से विवाद का हल निकालने की नीति से बिलकुल अलग है.
गृह मंत्री ने अपने भाषण में साफ़ किया है कि अलगाववादियों से किसी तरह की बातचीत नहीं हो सकती.
अपनी हालिया कश्मीर यात्रा में उन्होंने क्षेत्रीय पार्टियों जैसे नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी से मिलना भी ठीक नहीं समझा.
गृह मंत्री के भाषण को सुनकर ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार ने कश्मीर में अच्छे, बुरे और ख़राब तत्वों की पहचान कर ली है.
इसमें से सबसे ख़राब लोगों से ऑपरेशन ऑल आउट निपटेगा और एनआइए की जांच जारी रहेगी.
इसके बाद बुरे लोगों पर दबाव डाला जाएगा, उन्हें मनाया जाएगा और अच्छाई की ओर जाने वाले रास्ते से भटकने पर सज़ा भी दी जाएगी.
इसके साथ ही अच्छे लोगों को विकास योजनाओं से लाभान्वित किया जाएगा.
शाह ने अपनी स्पीच में संकेत दिए हैं कि सरकार विकास और प्रशासन के लिए विशेष क़दम उठाना चाहती है.
इस बात की अपेक्षा करना समझदारी नहीं होगी कि चरमपंथियों और अलगाववादियों के प्रति कठोर रुख़ अपनाने से जम्मू-कश्मीर में दीर्घकालिक शांति आएगी.
लेकिन ऐसा लगता है कि नई सरकार कश्मीर को लेकर अपने पहले कार्यकाल की तुलना में बेहतर नीति के साथ आगे बढ़ना चाहती है.
हालांकि, कश्मीर में बीते कुछ सालों में ज़मीनी स्थितियां बहुत तेजी से बदल गई हैं.

Tuesday, July 2, 2019

我们是否在见证“洋垃圾”时代的终结?

马来西亚瓜拉冷岳县小镇仁嘉隆,彻夜不熄的塑料垃圾焚烧炉令人无法入睡,咳嗽不止。村民们没有想到,蜂拥而至来发展“环保产业”的外商,带来的是一堆堆垃圾

在中国宣布拒收绝大部分废塑料后,马来西亚迅速成为了世界第一大废塑料进口国,面临着严峻的环境压力,而临近的泰国、印尼、越南也面临相似状况。 根据绿色和平东亚分部统计,在中国大陆2017年实施“洋垃圾禁令”后,马来西亚的每月废塑料进口量,由2016年的2万吨,飙升至2018年初的11万吨。泰国则由每月进口少于1万吨废塑料,增至8万吨(2018年4月);越南在2018年收紧废塑料入口前,每月进口量多达6万吨,比2016年增逾一倍。

事实上,用于出口的废塑料往往是回收价值不高而环境危害较大的品类。在中国向世贸组织提出拒收“洋垃圾”之前,世界上绝大多数的废塑料都卖到了中国大陆,这其中有四成都没有经过正规处置而沦为污染物。如今,越南、印度、泰国、马来西亚等国也纷纷出台限制性政策,例如马来西亚宣布将在三年内停止接收所有种类的废塑料。压力之下,一些出口国正在抓紧时间提高本地处置能力,但即便通过加大填埋、焚烧比重等方式来紧急应对,由于本地回收产业难以迅速壮大,回收处置的压力依然居高不下。日本政府2018年对102个市级政府做了调查,发现约四分之一都出现了垃圾堆积无法消化的问题。在英国,送入焚烧炉的塑料有所增加。在澳大利亚 显而易见,仅靠《巴塞尔公约》从贸易角度控制废塑料的跨境转移并不能解决塑料垃圾带来的环境危机。我们需要改变的是深深嵌入当代生活的一整套“丢弃文化”。如果不能扼住即用即弃的塑料包装的泛滥之势,同时提升全球各国对塑料垃圾分类、回收、再生的能力,那么就算废塑料百分百在本地处置,也只不过是把问题从发展中国家又拉回发达国家,从根源上于事无补

目前,一些国家和地区已经开始面对废塑料全球流通时代的落幕,力图以更彻底的解决办法从源头减少塑料垃圾的产生。例如欧盟于今年3月投票通过了一项法规,规定2021年起不可使用一次性塑料吸管、刀叉等产品,而2029年起,塑料饮料瓶的回收率要达到90%。

而最早掀起拒绝“洋垃圾”大潮的中国也在尝试重塑本国塑料经济:2017年国务院推出生产者延伸责任制(EPR)推行方案,计划在包含饮料包装等四个行业中推广从产品设计到末端回收,覆盖产品全生命周期的循环经济变革。一些地区还在尝试更为强势的方案,海南省就于今年3月宣布,到2020年12月全岛全面禁止列入名录的一次性不可降解塑料制品的生产、销售和使用。

可以说,《巴塞尔公约》修订案打消了全球各国对于用“保守疗法”治疗塑料危机的最后一丝幻想。不过,还有一年半就要生效的《巴塞尔公约》到底是会造就一个又一个无法自理的塑料孤岛,还是成功倒逼出一场全球塑料革命,新的变革才刚刚开始。,墨尔本最大的垃圾场一度无力接单,导致原本可回收的废塑料只能进入填埋场

根据绿色和平东亚分部对世界21个最大的塑料进出口国的贸易数据的梳理,2017年一年之中,这21国废塑料出口量从每月110万吨跌落到50万吨。这一方面说明了中国禁令的威力,另一方面也显示出,发达国家仍在通过出口来转移本地处置压力

《巴塞尔公约》修订案意味着什么

2019年5月10日《巴塞尔公约》修订案的通过,则将进一步降低出口这一选项的可行性。《巴塞尔公约》于1992年生效,其原则是危险废弃物应就地处理而非越境转移,目的就在于应对有毒有害废弃物在全球范围内寻找监管洼地这一困扰全球的问题。今年通过的修订案,对其附件中有毒物质的清单进行了修改,将原先不在附件内的大部分废塑料纳入其中。从2021年1月开始,向公约缔约国出口废塑料的企业,必须事先获得进口国监管机构的许可。目前《巴塞尔公约》已有187个缔约国,涵盖了包括中国在内的绝大多数国家。

虽然监管洼地总会存在,但全球绝大部分国家都将对废塑料的进口进行事前审批,无疑将显著提高废塑料跨境贸易的门槛。废纸贸易的变化显示了事前审批机制的威力。早在“洋垃圾禁令”颁布之前,中国就已要求对进口固体废物行使报批程序。废纸的进口量随之一落千丈,导致国内废纸价格飙升,倒逼国内造纸和用纸企业寻找和扶持本土废纸回收企业

此外,由于世界第一大废塑料出口国美国尚未通过该公约,根据其与OECD国家的协议,在2021年后将只能与OECD国家进行少数几类废塑料的交易,而无法再向广大的发展中国家合法出口废塑料。有理由相信《巴塞尔公约》会对全球废塑料的流通套上紧箍咒

塑料危机的解决之道

值得注意的是,提出了本次《巴塞尔公约》修订动议的,并不是饱受“塑料围城”之苦的发展中国家,而是作为发达国家和废塑料出口国的日本和挪威。而这一动议得到包括中国在内的全体发展中国家的支持,充分映射出国际社会对于全球性塑料危机的切肤之痛

有学者估算,在全球过去百年间生产的63亿吨塑料垃圾中,得到回收再利用的仅为区区9%,另有12%被焚烧,剩下的接近八成塑料,最终都或被丢弃,或被填埋,最终滞留在了环境中,大部分随着雨水和河流到达大海。艾伦麦克阿瑟基金会2016年发布的报告称,如不扭转塑料生产的增长速度,到2050年,全球海洋中漂浮的塑料垃圾重量将超过鱼类。而破碎为微粒的“微塑料”,甚至会在被海洋生物误食后,通过食物链再次回到人类体内。