मेदिनीपुर सीट पर संध्या राय का मामला भी ऐसा ही था. अबकी उनको टिकट
नहीं दिया गया है. हालांकि ममता ने कहा है कि संध्या अबकी विभिन्न वजहों से
चुनाव लड़ने की इच्छुक नहीं थी.
उनके अलावा पिछली बार नदिया जिले की कृष्णनगर सीट से जीतने वाले अभिनेता तापस पाल शारदा चिटफंड घोटाले के सिलसिले में साल भर से ज़्यादा समय तक भुवनेश्वर की जेल में रहे थे.
उन्होंने
खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर चुनाव लड़ने से मना कर दिया है. मुनमुन सेन को बांकुड़ा की बजाय आसनसोल से उतार कर ममता ने एक तीर से दो शिकार किया
है.
उन्होंने बांकुड़ा के लोगों की नाराजगी पर मरहम लगाने के साथ ही बीजेपी के बाबुल सुप्रियो के साथ मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है.
मेदिनीपुर सीट पर संध्या राय का मामला भी ऐसा ही था. अबकी उनको टिकट
नहीं दिया गया है. हालांकि ममता ने कहा है कि संध्या अबकी विभिन्न वजहों से
चुनाव लड़ने की इच्छुक नहीं थी.
उनके अलावा पिछली बार नदिया जिले की कृष्णनगर सीट से जीतने वाले अभिनेता तापस पाल शारदा चिटफंड घोटाले के
सिलसिले में साल भर से ज़्यादा समय तक भुवनेश्वर की जेल में रहे थे.
उन्होंने
खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर चुनाव लड़ने से मना कर दिया है. मुनमुन सेन
को बांकुड़ा की बजाय आसनसोल से उतार कर ममता ने एक तीर से दो शिकार किया
है.
उन्होंने बांकुड़ा के लोगों की नाराजगी पर मरहम लगाने के साथ ही बीजेपी के बाबुल सुप्रियो के साथ मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है.
बांग्ला फ़िल्मों की जानी-मानी अभिनेत्री मिमी चक्रबर्ती और नुसरत जहां पहली बार चुनाव मैदान में हैं. हालांकि यह दोनों पहले भी तृणमूल कांग्रेस की सभाओं और रैलियों में नजर आती रही हैं.
मिमी कोलकाता की
प्रतिष्ठित जादवपुर सीट से मैदान में हैं. वह कहती हैं, "राजनीति मेरे लिए नई चीज है. लेकिन मैं फिल्मों की अपनी भूमिकाओं की तरह इस नई भूमिका को भी
जिम्मेदारी और ईमनादारी से निभाने और लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का प्रयास करूंगी."
उधर, नुसरत जहां कहती हैं, "राजनीति में आने की
इच्छा तो नहीं थी. लेकिन जब दीदी ने इतनी अहम जिम्मेदारी सौंप ही दी हैं तो
मन लगा कर उसे निभाने का प्रयास करूंगी."
ममता ने नदिया जिले का
रानाघाट सीट पर अबकी तृणमूल विधायक सत्यजीत विश्वास की विधवा को टिकट दिया
है. सत्यजीत की सरवस्ती पूजा के पंडाल में सरेआम गोली मार कर हत्या कर दी
गई थी.
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि ममता ने स्टार पावर का अपना कामयाब फॉर्मूला अपनाया है.
एक
पर्यवेक्षक मदन मोहन अधिकारी कहते हैं, "ममता ने ख़ासकर दो शीर्ष अभिनेत्रियों को मैदान में उतार कर विपक्ष को करार झटका दिया है. इसी तरह शारदा घोटाले के अभियुक्त तापस पाल को टिकट नहीं देकर उन्होंने विपक्ष के हाथ से एक मुद्दा छीन लिया है."
वह कहते हैं कि सितारों के मैदान में
उतरने से जीत की गारंटी तो मिलती ही है, ख़ासकर महिला अभिनेत्रियों को
टिकट देकर ममता ने खुद को महिलाओं का सबसे बड़ा शुभचिंतक होने का दावा भी
मजबूत किया है.
ममता ने उम्मीदवारों की सूची जारी करते वक्त कहा था
कि यह तमाम दलों को मेरी चुनौती है. हमने 41 फीसदी महिलाओं को टिकट देकर सबको पीछे छोड़ दिया है.
अब बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में भी
ममता का यह फार्मूला पहले की तरह कामयाब रहेगा? लाख टके के इस सवाल का जवाब तो भविष्य ही देगा.