Tuesday, September 11, 2018

विवेकानंद ने शिकागो के भाषण में क्या कहा था?

जनवरी, 1863 को कोलकाता में जन्में नरेंद्र नाथ आगे चलकर स्वामी विवेकानंद के नाम से मशहूर हुए. विवेकानंद की जब भी बात होती है तो अमरीका के शिकागो की धर्म संसद में साल 1893 में दिए गए भाषण की चर्चा ज़रूर होती है.
ये वो भाषण है जिसने पूरी दुनिया के सामने भारत को एक मजबूत छवि के साथ पेश किया. लेकिन भाषण में उन्होंने कहा क्या यह कम ही लोग बता पाते हैं. ये हैं स्वामी विवेकानंद के उस भाषण की खास बातें:
1. अमरीकी भाइयों और बहनों, आपने जिस स्नेह के साथ मेरा स्वागत किया है उससे मेरा दिल भर आया है. मैं दुनिया की सबसे पुरानी संत परंपरा और सभी धर्मों की जननी की तरफ़ से धन्यवाद देता हूं. सभी जातियों और संप्रदायों के लाखों-करोड़ों हिंदुओं की तरफ़ से आपका आभार व्यक्त करता हूं.
2. मैं इस मंच पर बोलने वाले कुछ वक्ताओं का भी धन्यवाद करना चाहता हूं जिन्होंने यह ज़ाहिर किया कि दुनिया में सहिष्णुता का विचार पूरब के देशों से फैला है. मुझे गर्व है कि मैं उस धर्म से हूं जिसने दुनिया को सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है. हम सिर्फ़ सार्वभौमिक सहिष्णुता पर ही विश्वास नहीं करते बल्कि, हम सभी धर्मों को सच के रूप में स्वीकार करते हैं.
4. मुझे गर्व है कि मैं उस देश से हूं जिसने सभी धर्मों और सभी देशों के सताए गए लोगों को अपने यहां शरण दी. मुझे गर्व है कि हमने अपने दिल में इसराइल की वो पवित्र यादें संजो रखी हैं जिनमें उनके धर्मस्थलों को रोमन हमलावरों ने तहस-नहस कर दिया था और फिर उन्होंने दक्षिण भारत में शरण ली.मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं जिसने पारसी धर्म के लोगों को शरण दी और लगातार अब भी उनकी मदद कर रहा है.
6. मैं इस मौके पर वह श्लोक सुनाना चाहता हूं जो मैंने बचपन से याद किया और जिसे रोज़ करोड़ों लोग दोहराते हैं. ''जिस तरह अलग-अलग जगहों से निकली नदियां, अलग-अलग रास्तों से होकर आखिरकार समुद्र में मिल जाती हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य अपनी इच्छा से अलग-अलग रास्ते चुनता है. ये रास्ते देखने में भले ही अलग-अलग लगते हैं, लेकिन ये सब ईश्वर तक ही जाते हैं.
7. मौजूदा सम्मेलन जो कि आज तक की सबसे पवित्र सभाओं में से है, वह अपने आप में गीता में कहे गए इस उपदेश इसका प्रमाण है: ''जो भी मुझ तक आता है, चाहे कैसा भी हो, मैं उस तक पहुंचता हूं. लोग अलग-अलग रास्ते चुनते हैं, परेशानियां झेलते हैं, लेकिन आखिर में मुझ तक पहुंचते हैं.''सांप्रदायिकता, कट्टरता और इसके भयानक वंशजों के धार्मिक हठ ने लंबे समय से इस खूबसूरत धरती को जकड़ रखा है. उन्होंने इस धरती को हिंसा से भर दिया है और कितनी ही बार यह धरती खून से लाल हो चुकी है. न जाने कितनी सभ्याताएं तबाह हुईं और कितने देश मिटा दिए गए.
9. यदि ये ख़ौफ़नाक राक्षस नहीं होते तो मानव समाज कहीं ज़्यादा बेहतर होता, जितना कि अभी है. लेकिन उनका वक़्त अब पूरा हो चुका है. मुझे उम्मीद है कि इस सम्मेलन का बिगुल सभी तरह की कट्टरता, हठधर्मिता और दुखों का विनाश करने वाला होगा. चाहे वह तलवार से हो या फिर कलम से.
अमरीका ने बताया है कि उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप को अपने ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन के बाद फॉलो-अप मीटिंग के लिए ख़त लिखा है.
अमेरिका का कहना है कि वो पहले से ही एक नई मीटिंग तय करने पर विचार कर रहा है.
व्हाइट हाउस की प्रवक्ता सारा सैंडर्स का कहना है कि उत्तर कोरिया की तरफ़ से ये ख़त दिखाता है कि वो परमाणु मुक्त होने को लेकर प्रतिबद्ध है.
जून में सिंगापुर में दोनों नेताओं के ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन के बाद इस विषय पर बातचीत रुक गई थी.
सैंडर्स ने कहा, "पत्र का प्राथमिक उद्देश्य अनुरोध करना था और राष्ट्रपति के साथ एक और बैठक निर्धारित करना था, जिसके लिए हम तैयार हैं और पहले ही इसे तय करने की प्रक्रिया में हैं."
उन्होंने कोई संकेत नहीं दिया कि दोनों नेताओं के बीच दूसरी संभावित बैठक कब हो सकती है.
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जेई-इन ने इस ख़बर का स्वागत करते हुए कहा कि "कोरियाई प्रायद्वीप का पूरी तरह से परमाणु मुक्त होना एक ऐसा मुद्दा है जिसे अमेरिका और उत्तरी कोरिया के बीच बातचीत के माध्यम से ही हल किया जाना चाहिए."
जून में सिंगापुर शिखर सम्मेलन में मून जेई-इन की मध्यस्थता काफ़ी महत्वपूर्ण थी और वे खुद भी अगले हफ्ते प्योंगयांग में किम जोंग-उन से तीसरी बार आमने-सामने मिलने वाले हैं.
सियोल से बीबीसी संवाददाता लौरा बिकर का कहना है कि मून जे-इन दोनों पक्षों के बीच खुद को मध्यस्थ के रूप में देखते है और उन्होंने दोनों से साहसिक कदम उठाने की बात कही है.
उत्तर कोरिया का ये पत्र ऐसे समय आया है जब संयुक्त राष्ट्र के परमाणु निगरानी के प्रमुख युकिया अमानो ने चेतावनी दी है कि उत्तर कोरिया की मौजूदा परमाणु गतिविधियां संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के नियमों का उल्लंघन हैं.
अंतरराष्ट्रीय निरीक्षक उत्तर कोरिया में प्रतिबंधित हैं, लेकिन अमानो ने कहा कि अगर कोई राजनीतिक समझौता होता है तो वे वापस लौटने के लिए तैयार हैं.
सैंडर्स ने पिछले हफ़्ते हुई उत्तर कोरिया की सैन्य परेड की भी प्रशंसा की और कहा कि "यह पहली बार था जब ये परेड उनके परमाणु हथियारों को लेकर नहीं थी. सैंडर्स ने इसका श्रेय ट्रंप की सफ़ल नीतियों को दिया.
खबरों के मुताबिक़ उत्तरी कोरिया ने अपनी 70वीं वर्षगांठ परेड में अपने सैनिक, टैंक और अन्य हथियार तो दिखाए, लेकिन किसी भी अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (आईसीबीएम) का प्रदर्शन नहीं किया था.
आईसीबीएम, जो अमेरिका को टारगेट करने में सक्षम है और संभावित तौर पर इसमें परमाणु हथियार भी लैस किए जा सकते हैं, इसका प्रदर्शन करना उकसावे के रूप में देखा जाता.
ट्रंप ने ट्विटर के माध्यम से उत्तर कोरिया के नेता का शुक्रिया अदा किया और कहा कि ये परेड "उत्तरी कोरिया का एक बड़ा और बहुत सकारात्मक क़दम" थी.
"चेयरमैन किम को धन्यवाद. हम दोनों सभी को गलत साबित करेंगे!"

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